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बिहार में रक्सौल एयरपोर्ट का विस्तार: आर्थिक विकास और कनेक्टिविटी की दिशा में बड़ा कदम

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KKN गुरुग्राम डेस्क | बिहार के लोगों के लिए एक बड़ी खुशखबरी सामने आई है। पूर्वी चंपारण जिले के रक्सौल एयरपोर्ट के विस्तार की प्रक्रिया अब तेज़ी से आगे बढ़ रही है। एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया (AAI) ने राज्य सरकार से 139 एकड़ ज़मीन के अधिग्रहण के लिए अधियाचना भेजी है। इस परियोजना के लिए बिहार कैबिनेट ने ₹207.70 करोड़ की राशि भी आवंटित की है। इस कदम से रक्सौल में हवाई यात्रा को एक नई दिशा मिलेगी और आसपास के इलाकों में आर्थिक विकास को भी बढ़ावा मिलेगा।

रक्सौल एयरपोर्ट का विस्तार और ज़मीन अधिग्रहण


रक्सौल एयरपोर्ट का विस्तार करने के लिए अब तक की सबसे बड़ी ज़मीन अधिग्रहण प्रक्रिया शुरू हो गई है। इसके तहत रक्सौल अंचल के छह गांवों में लगभग 400 रैयतों से 139 एकड़ ज़मीन अधिग्रहित की जाएगी। ये गांव हैं – चिकनी, सिंहपुर, सिसवा, एकडेरवा, भरतमही, और चंदौली। ज़मीन की पैमाइश पूरी हो चुकी है और खेसरा पंजी तैयार कर लिया गया है। इस अधिग्रहण का उद्देश्य एयरपोर्ट के विस्तार के लिए अतिरिक्त भूमि की व्यवस्था करना है ताकि यात्री विमान के संचालन की क्षमता को बढ़ाया जा सके।

रक्सौल एयरपोर्ट पहले से ही भारत-नेपाल सीमा के पास स्थित है, और इसकी महत्ता इन दोनों देशों के बीच बढ़ते व्यापार, यात्रियों की आवाजाही और सुरक्षा के दृष्टिकोण से बढ़ गई है। एयरपोर्ट के पास पहले से 137 एकड़ भूमि उपलब्ध है, लेकिन इसके विस्तार के लिए और अधिक ज़मीन की आवश्यकता थी, जिसके लिए 139 एकड़ भूमि का अधिग्रहण किया जाएगा।

आर्थिक लाभ और क्षेत्रीय विकास


रक्सौल एयरपोर्ट के विस्तार के बाद इस क्षेत्र की अर्थव्यवस्था में बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा। एयरपोर्ट के लिए नागरिक उड्डयन सेवाओं की शुरुआत होने से स्थानीय लोगों को रोजगार के नए अवसर मिलेंगे। साथ ही, व्यापार, पर्यटन और उद्योगों को भी लाभ होगा। नई कनेक्टिविटी से केवल बिहार ही नहीं, बल्कि नेपाल और भारत के अन्य हिस्सों से व्यापार और पर्यटन के लिए रास्ते खुलेंगे।

रक्सौल के पास एयरपोर्ट होने से इस क्षेत्र में औद्योगिकीकरण के अवसर भी खुलेंगे। व्यापारियों को बेहतर कनेक्टिविटी मिलेगी, जिससे उनके कारोबार में बढ़ोतरी होगी। इसके अलावा, इस एयरपोर्ट के विस्तार से स्थानीय निवासियों को बेहतर जीवन स्तर और सुविधाओं का लाभ मिलेगा। एयरपोर्ट के साथ सुरक्षा व्यवस्थाओं को भी मजबूत किया जा सकेगा, जो भारत-नेपाल सीमा से सटे होने के कारण और भी महत्वपूर्ण हो जाता है।

रक्सौल एयरपोर्ट का ऐतिहासिक महत्व


रक्सौल एयरपोर्ट का इतिहास काफी दिलचस्प है। यह एयरपोर्ट 1962-63 में भारत-चीन युद्ध के समय स्थापित किया गया था। उस समय इसे एक सैन्य एयरपोर्ट के रूप में डिजाइन किया गया था ताकि युद्ध के दौरान चीन और नेपाल से सटी सीमा पर सेना के विमान उतारने की सुविधा हो सके। समय के साथ, यह एयरपोर्ट देश की सुरक्षा में अहम भूमिका निभाता रहा।

हालांकि, अब यह एयरपोर्ट पूरी तरह से नागरिक उड्डयन के लिए तैयार हो रहा है। केंद्र सरकार ने रक्सौल को ‘उड़ान योजना’ (UDAN Scheme) में शामिल किया है, जिसका उद्देश्य कम लागत में और दूर-दराज के क्षेत्रों में हवाई कनेक्टिविटी को बढ़ावा देना है। अब रक्सौल एयरपोर्ट का विस्तार नागरिक उड्डयन की जरूरतों को पूरा करेगा और इस क्षेत्र को भारत और नेपाल के बीच एक प्रमुख हवाई मार्ग बना देगा।

कनेक्टिविटी और सुरक्षा के दृष्टिकोण से महत्व


रक्सौल एयरपोर्ट का विस्तार न केवल यात्री परिवहन के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि यह क्षेत्र की सुरक्षा को भी मजबूती प्रदान करेगा। भारत-नेपाल सीमा के निकट स्थित होने के कारण इस एयरपोर्ट की रणनीतिक अहमियत बढ़ जाती है। विस्तार के बाद, यहां सुरक्षा और निगरानी प्रणालियों को और मजबूत किया जा सकेगा, जो दोनों देशों के बीच सीमा सुरक्षा को सुदृढ़ बनाएंगे। इसके अलावा, नेपाल और भारत के बीच कनेक्टिविटी में सुधार होगा, जिससे दोनों देशों के नागरिकों को आपस में बेहतर संपर्क का अवसर मिलेगा।

रक्सौल का एयरपोर्ट अब एक प्रमुख हवाई अड्डा बनने की दिशा में अग्रसर है। इससे केवल यात्रियों के लिए ही नहीं, बल्कि क्षेत्र के व्यापार और औद्योगिक गतिविधियों के लिए भी नए रास्ते खुलेंगे। यह परियोजना आर्थिक रूप से समृद्ध और सुरक्षित भविष्य की ओर एक महत्वपूर्ण कदम है।

भविष्य की दिशा और विकास


रक्सौल एयरपोर्ट के विस्तार से इस क्षेत्र की नागरिक सुविधाओं में भी काफी सुधार होगा। एयरपोर्ट के पास मौजूदा ज़मीन के अलावा 139 एकड़ ज़मीन का अधिग्रहण और इसका उपयोग नए भवनों, रनवे और अन्य जरूरी संरचनाओं के निर्माण के लिए किया जाएगा। इस विस्तार से एयरपोर्ट की क्षमता में भी वृद्धि होगी, जिससे यह बड़े विमानों को भी साकार करने में सक्षम होगा और यात्रा के अनुभव को और बेहतर बनाया जाएगा।

इसके साथ ही, इस परियोजना से स्थानीय समुदाय को न केवल रोजगार के अवसर मिलेंगे, बल्कि यह क्षेत्र एक समृद्ध और विकसित इलाके के रूप में उभरेगा। नए एयरपोर्ट के बनने से इस क्षेत्र में यात्री और मालवाहन के लिए नई संभावनाएं खुलेंगी, जो स्थानीय व्यापार को नई ऊंचाई पर ले जाएंगे।

रक्सौल एयरपोर्ट का विस्तार एक महत्वाकांक्षी परियोजना है, जो बिहार और नेपाल के बीच बेहतर कनेक्टिविटी का मार्ग प्रशस्त करेगा। इसके द्वारा लाए गए विकास और समृद्धि से स्थानीय लोग भी लाभान्वित होंगे। यह परियोजना ना केवल नागरिक उड्डयन के दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि आर्थिक विकास, रोजगार सृजन और क्षेत्रीय सुरक्षा के दृष्टिकोण से भी अहम है। सरकार का यह कदम यह सुनिश्चित करेगा कि रक्सौल एयरपोर्ट एक प्रमुख हवाई अड्डे के रूप में विकसित हो, जो दोनों देशों के बीच यात्रियों और व्यापार के लिए एक बेहतर मार्ग प्रदान करेगा।


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